Rekha khichi

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Jul-2022

बला है या अबला ये बात बस लोग 
अपनी सोच के हिसाब से कहते हैं
अगर चुप रही अबला और 
अपने शब्दों को बयान कर दिया तो बला कहते हैं,
शर्म हया कुछ है नहीं अपनी मनमानी करती है
तू तो नारी है फिर क्यों नहीं किसी से डरती है
छोटे छोटे कपड़े पहन के घूमती है
घर में तैयार होकर नही रहना क्यों नहीं सुनती है
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक बस ताने सुनते रहना है
शर्म नहीं आती हर किसी का यही कहना है
चलो अब से यही बात रखते हैं हां नही आती शर्म 
क्योंकि हम सोच समझकर कर्म करते हैं
किसी लड़के को गलत नजर से नहीं देखते
उसको कपड़ों को लेकर चर्चा नहीं करते
अगर अपने हिसाब से जीना बेशर्मी कहलाती है
तो हां नहीं आती मुझे शर्म
यही बात मैं अपने आप को समझाती हूं।
#प्रतियोगिता 

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4 Comments

Chudhary

07-Jul-2022 12:04 AM

Nice

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Saba Rahman

06-Jul-2022 08:47 PM

Nice

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Renu

06-Jul-2022 03:49 PM

👍👍

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